Thursday, November 03, 2005

येह मेरा पह्ला हिन्दी पोश्ट है।

वन पथ हैन प्रियतर घोर अन्धेरे अओर घनेरे।
वादे है जो कर्ने हैन पूरे।
और मीलो जाना है सोने से पह्ले।
और मीलो जाना है सोने से पह्ले॥

1 comment:

रवि रतलामी said...

हिन्दी चिट्ठा विश्व में आपका हार्दिक स्वागत है.

अपना लेखन प्रकाशन नियमित बनाए रखने का आग्रह है.